यह परीकथा ही थी
उस चीकट लड़की के लिए :
चौराहे पर रुकी बड़ी गाड़ी
और उसमें बैठी छुटकी मेमसाब ने
पकड़ा दिया
खिड़की के पास खड़ी उसे
नीला पैकेट चाकलेट का.
बड़े साहब मेमसाहब को बोले
“क्या उजबक बेटी है तेरी”
और वह सोच ही रही थी
बड़े लोग परी को उजबक कहते हों शायद,
कि
बत्ती हरी हो गई.
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Sunday, October 17, 2010
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