Sunday, December 19, 2010

तीन सतरें

(एक)
सरदर्दी हर गाम हुई
बरजोरी सरे-शाम हुई
बेखौफ़ रहे ताकतों वाले
और मुन्नी बदनाम हुई।

(दो)
आ गई चीजें इतनी लगाने की
कि नींद हराम हुई जमाने की
सौदागर सपनों का बाजार बना
पर शीला किसी के हाथ न आने की।

(तीन)
उसके होंठ तले जो छोटा तिल है
बंदे का मुआ वही तो कातिल है
वह सुनारों संग घूमती रही और
ये गाएँ, फूल नहीं मेरा दिल है।
*************

No comments:

Post a Comment

टिप्पणियाँ उत्साह बढ़ाती हैं । कृपया मेरी कृतज्ञता एवं धन्यवाद स्वीकार करें।