होली का यह वसन्तोत्सव आपके जीवन - पथ को आपके चुने हुए रंगों के फूलों से सजाए –पथ के समस्त कण्टकों (और शुष्क मृणालों को भी)
होलिका के ही संग जलाए ।
होलिका के ही संग जलाए ।
दुनिया छोटी हो गयी है और आदमी ज्यादा मशरूफ. अब मिलने-जुलने हमबयानी हमसुखनियत के मौके कहाँ और कहाँ वह नज़र-ब-नज़र गुफ्तगू की ऐश. आइए कि कभी कभी यूं भी मिलें. आइये कि दोस्त बनें. कुछ मैं सुनूं, कुछ आप कहें.
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